Tuesday, September 16, 2014

 This video came to my memory when I saw the post fr a frd showing Kejriwal tendering an apology to Gadkari , Here Gadkari has failed to rise to the level of the father of the daughters. मूजे एक पंक्ति तुलसीदासकी की याद आती है, रामायण मे उन्होने लिखा था। " क्षमा बडनको चाहिए, छोटनकोकों उत्पात । 2। कहा क्या विष्णु जो घाटी गयो जो भृगु मारी लात " अर्थात जो बड़ा है उसको तो बड़ा दिल रखके भूल करने वालोंको क्षमा कर देनी चाहीये, भृगु ऋषिकी लात खानेके बाद भी विष्णु भगवान तो भगवान ही रहे थे । वार्ता कुछ ऐसे बनी। एक वक्त भृगु ऋषि विष्णु भगवान को मीलने गए, विष्णु भगवान तप करनेमे मशगूल थे, उन्होने भृगु ऋषि को देखा नही , एक आधा घंटे तक इंतज़ार करके भृगु ऋषि थके और बहोत गुस्सेमे आ गए, इतने गुस्से मे आए की विष्णु भगवान को एक लात मार दी । " साला, देखता नही है, मे कबसे इंतज़ार करता हूँ ? " लात खाई लेकिन विष्णु भगवान चलित नही हुये, और भृगुकों माफ करा दिया, ऐसा करनेमे विष्णु भगवानने अपना भगवत्व झारी रखा , उनका वजन कुछ कम नही हुआ बल्कि बढ़ा।

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